वादे जो अब भी इंतज़ार में हैं: शिक्षामित्रों और अल्पमानदेय कर्मियों के अधिकारों पर सरकार कब देगी जवाब?
— एक स्मृति रिपोर्ट
वाराणसी/लखनऊ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की सभा में एक बार फिर भरोसा दिलाया कि शिक्षामित्रों को न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार से बात हुई है और समाधान निकाला जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि जिन वादों पर वर्षों से भरोसा दिलाया जा रहा है, वो धरातल पर कब उतरेंगे?
क्या कहा था प्रधानमंत्री मोदी ने?
2014, 2017 और फिर 2022 में चुनावी मंचों से भाजपा ने यह वादा किया था कि शिक्षामित्रों की सेवा स्थायी की जाएगी, आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रहे कर्मियों को सुरक्षा और स्थायित्व मिलेगा, और मानदेय इतना होगा कि वे अपने परिवार का भरण-पोषण सम्मानजनक तरीके से कर सकें।
अब प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं,
“हताश मत होइए, न्याय मिलेगा। बच्चों की पढ़ाई में कोई कोताही नहीं होगी। जो 50 साल में नहीं हुआ, वह 50 माह में करेंगे।”
और क्या वादा था मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का?
2017 के चुनावी घोषणापत्र और मंचों से सीएम योगी ने दोहराया था:
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शिक्षामित्रों को “आत्मसम्मान और सुरक्षा” देंगे।
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सभी संविदा और आउटसोर्स कर्मियों की सेवा की समीक्षा कर उचित समाधान करेंगे।
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न्यूनतम मानदेय को “मानव गरिमा के अनुरूप” बनाया जाएगा।
वास्तविकता क्या है?
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शिक्षामित्र आज भी अनिश्चितता के साये में हैं।
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हजारों कंप्यूटर ऑपरेटर, हेल्पर, आशा बहुएं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य कर्मी आज भी ₹5000-₹8000 प्रतिमाह की कम तनख्वाह पर काम कर रहे हैं।
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कोई सामाजिक सुरक्षा, भविष्य निधि, या स्थायीत्व की गारंटी नहीं है।
भरोसे पर सवाल क्यों?
सरकार की नीतियों से स्मार्ट सिटी, एक्सप्रेसवे, डिफेंस कॉरिडोर तो बन रहे हैं, लेकिन जिन शिक्षकों और कर्मियों ने गांव-गांव जाकर शिक्षा और प्रशासन की रीढ़ संभाली — उनके जीवन की स्थिरता पर कोई ठोस नीति अब तक सामने नहीं आई।
जनता और कर्मचारी पूछ रहे हैं:
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कब मिलेगा स्थायी रोजगार?
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कब बढ़ेगा मानदेय?
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क्या सरकार केवल चुनाव के समय ही इनका नाम याद करती है?
निष्कर्ष:
शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासन के ये सच्चे कर्मवीर आज भी अपने हक का इंतज़ार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के शब्दों में दम तभी होगा, जब उन वादों को नीति और निर्णय में बदला जाएगा।
अब समय है कि सरकार वादों को निभाए — क्योंकि यही है "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास" की असली परीक्षा।