संविधान दिवस 2024: 75वीं वर्षगांठ "संविधान की प्लेटिनम जयंती" राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन

संविधान दिवस समारोह: 26 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंगलवार को संविधान सदन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी। यह कार्यक्रम भारत के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले समारोह की शुरुआत करेगा।

सरकार ने घोषणा की है कि नागरिकों को संविधान की विरासत से जुड़ने के लिए एक नई वेबसाइट - https://constitution75.com - बनाई गई है। इस वेबसाइट के माध्यम से इंटरैक्टिव गतिविधियों और संसाधनों के जरिए लोग संविधान के ऐतिहासिक पहलुओं और इसके निर्माताओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

समारोह की विशेषताएँ
इस अवसर पर सरकार एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेगी। केंद्रीय संस्कृति सचिव अरुणीश चावला ने बताया कि समारोह में संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया जाएगा, और विशेष ग्राम सभाओं में भी इसे पढ़ा जाएगा।

राष्ट्रपति मुर्मू संस्कृत और मैथिली में संविधान के अनुवादित संस्करण भी जारी करेंगी। इस समारोह में एक लघु फिल्म दिखाई जाएगी और संविधान की कला पर आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया जाएगा।

कार्यक्रम का समय

कार्यक्रम सुबह 11 बजे शुरू होगा, जिसमें पहले लोकसभा अध्यक्ष स्वागत भाषण देंगे, उसके बाद उप राष्ट्रपति और फिर राष्ट्रपति का संबोधन होगा। राष्ट्रपति की अगुवाई में प्रस्तावना का औपचारिक वाचन किया जाएगा।

संविधान दिवस (26 नवंबर) 
भारत के संविधान को अपनाने और इसके महत्व को सम्मानित करने के लिए हर वर्ष मनाया जाता है। इस दिन संविधान निर्माण में योगदान देने वाले नेताओं और विशेषज्ञों के योगदान को भी याद किया जाता है।

संविधान दिवस 2024: 75वीं वर्षगांठ का महत्व

  • 2024 में यह भारत के संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने का प्रतीक है।
  • इसे "संविधान की प्लेटिनम जयंती" के रूप में मनाया जाएगा।
  • यह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों, अधिकारों, और जिम्मेदारियों के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराने का अवसर होगा।

संविधान दिवस से जुड़े मुख्य तथ्य:

  1. इतिहास:

    • 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने भारत का संविधान अपनाया।
    • संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसे भारत का गणतंत्र दिवस कहा जाता है।
    • 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान के महत्व को पहचानने और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की विरासत को सम्मानित करने के लिए इसे संविधान दिवस के रूप में घोषित किया।
  2. उद्देश्य:

    • संविधान के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना।
    • संविधान के निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर के विचारों और योगदान का सम्मान करना।
    • नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना।

संविधान के बारे में मुख्य तथ्य:

  1. लिखित संविधान:

    • भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
    • इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों में तैयार किया गया था।
  2. सुलेख और अलंकरण:

    • संविधान को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हस्तलिखित किया।
    • हर पृष्ठ शांतिनिकेतन के कलाकारों ने नंदलाल बोस के निर्देशन में सजाया।
  3. निर्माण प्रक्रिया:

    • संविधान बनाने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे।
    • इसका मसौदा डॉ. बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता वाली मसौदा समिति ने तैयार किया।
    • संविधान के मसौदे में लगभग 2000 संशोधन किए गए थे।
    • डॉ. भीमराव अंबेडकर को "भारतीय संविधान का निर्माता" कहा जाता है।
  4. प्रेरणा स्रोत:

    • भारत का संविधान कई देशों के संविधानों से प्रेरित है, जैसे:
      • अमेरिका: मौलिक अधिकार
      • ब्रिटेन: संसदीय प्रणाली
      • आयरलैंड: नीति निर्देशक सिद्धांत
      • कनाडा: संघीय व्यवस्था
      • ऑस्ट्रेलिया: समवर्ती सूची
      • जापान: विधि का शासन
  5. विशेषताएँ:

    • संविधान भारत को संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है।
    • यह नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का आश्वासन देता है।
    • मूल संरचना भारत सरकार अधिनियम, 1935 पर आधारित है।

संविधान दिवस मनाने के उद्देश्य:

  • संविधान के प्रति सम्मान और जागरूकता।
  • नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी देना।
  • लोकतांत्रिक आदर्शों को मजबूत करना।

संविधान दिवस पर गतिविधियाँ:

  1. संविधान की प्रस्तावना का पाठ।
  2. सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन।
  3. संविधान से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता अभियान।
  4. डॉ. अंबेडकर और संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि।

निष्कर्ष:

संविधान दिवस न केवल संविधान को याद करने का दिन है, बल्कि यह नागरिकों के कर्तव्यों, अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि करने का अवसर भी है। यह भारत के लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने की प्रेरणा देता है।

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